#चरिपतिया बेटी लेल
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दू परिवारक बीच सम्बन्धक
पूल बनाबय बेटी
धरती सन सहनशील बनि
सब बोझ उठाबय बेटी
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नैहरक दुखसँ सभ दिने
दुखित रहै छै बेटी
पड़ै काज त' बिना हकारे
दौड़ आबै छै बेटी
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छान पछौटा बान्हि-छान्हि क'
राखल जाइ छै बेटी
युग युगसँ संस्कारक साँचामे
ढालल जाइ छै बेटी
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छोट पैघ सभ टहल-टिकोरा
करैत रहै छै बेटी
ठाठ-बाठ भाइक देखि क'
नै जरै छै बेटी
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बेटा करय पढौनी बाहर
घर रहै छै बेटी
भेद-भाव ओ सहै अनेको
मुदा कहै नै बेटी
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सजा-धजा खोपड़ीकेँ सेहो
स्वर्ग बनाबय बेटी
भाइक सुख लए घर-द्वारिकेँ
छोड़ि क' आबय बेटी
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बेटा आब पछुआएल रहै छै
आगू बढ़लै बेटी
कोमल कली बुझु नै एकरा
ज्वाला बनलै बेटी
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