प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

## गजल ##

‎ जीवन मे जौँ नै रहबै कने सामने रहू ,
जा धरि चलै छै साँस हम्मर सामने रहू ,
केहनो हो मौसम फुल गमक नै छोड़ै छै ,
प्रेमक गाछ कए फुल छी गमकौने रहू ,
लोग कतबो दुषित करै छै पर्यावरण ,
सुर्य-चान उगबे करतै समझने रहू ,
जौँ हटि जायब प्रियतम अहाँ सामने सँ ,
हमरा संग सिनेह हारत , जीतौने रहू ,
ऐ वालेंटाइन देखा दियौ प्रेमक तागत ,
नभ सँ भू धरि प्रेम जाम छलकौने रहू
काँट इ जमाना छै सिनेह गुलाबक फुल ,
"अमित " नदी कए दुनू कात सम्हारने रहू . . . । ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें