प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 19 मार्च 2013

शायरी

वक्त बेक्त आहें क्यो भरते हो?
छुप-छुप के मोहब्बत क्यो करते हो?
यदि तुम्हारे इश्क का दामन पाक है तो
जमाने के ठेकेदारों से क्यो डरते हो?

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