प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 17 मार्च 2013

इशारा


विहनि कथा- इशारा

चर्र .र . र . . ।केबार खुजल ।एकटा कारी छाँह घरमे प्रवेश केलक ।लड़खड़ाइत डेग ।पूरा घरमे सस्तौआ शराबक गंध पसरि गेल ।घरक एगो कोणमे देबालपर माँछ-बाँस पाड़ल छल आ ओकर नीच्चा अहिबातक दीपमे लाल साड़ी चमकि रहल छल ।लाल साड़ी बाली नारी ओहि कारी छाँहकें खसैत देख दौड़ल ।धम्म . . . ।जा धरि पहुँचल ता धरि पिठे भरे खसल छल ओ छाँह ।ओ नारी पाँजमे पकड़ि उठेलक ओ सक्कत देह बाला मर्दकेँ आ बैसेलक कोहबरक ओछैनपर ।घंटो पंखा हौँकलक तखन जा कऽ होश एलै ओ मर्द के ।मुदा ई की? होश आबिते नोचि लेलक कानक बाली । हँसैत बाजल-काल्हि एहिसँ दारू पियब । नाक पर साड़ी राखने छल ओ नारी ।मुदा अपन गहना लेल बिरोध केलक ।अथक बिरोध ।एकर बराबर सजा देलकै ओ बेदर्दी मर्द ।ओ नारीके पीठपर लाठीकेँ भरिगर चोट दऽ चामके लाल कऽ देने छलै ।ठोर आ कानसँ खून बहि रहल छल ।अचेत पड़ल ओ नारी सोचि रहल छल ।एहि जीवनमे एहिसँ बड़का दुख भेटतै ई तऽ मात्र दुखक पहाड़केँ दिश एकटा छोट इशारा छलै ।

1 टिप्पणी: