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बुधवार, 10 अप्रैल 2013

गजल-1.62

गजल-1.62

सोना आर चानी नै बस प्रीत दिअ
जे बूझै सभक दुख एहने मीत दिअ

नेहक बैन दी हम फेक दै छी अहाँ
पीबै बूझि मधु कतबो अहाँ तीत दिअ

जुनि कानू हमर लाशपर जुनि फूल दिअ
हँसि, जीवनक ई अन्तीम सन जीत दिअ

गामक हालपर इतिहास कानैत छै
हे मैथिल युवा गामक नवल भीत दिअ

बैस स्वर्गमे पुरखा कहै मात्र ई
छोरू रीत नव बिसरल हमर गीत दिअ

लोहाकें तऽ लोहे काटि सकतै "अमित"
हम बड नेह केलौं तें अहूँ प्रीत दिअ


मफऊलातु-मफऊलातु-मुस्तफइलुन
2221-2221-2212
बहरे-कबीर

अमित मिश्र

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