कृष्णाष्टमीक शुभकामना एहि गीतक संग
छलिया रूपमे बड छल केलौं
वनमे गैया सेहो चरेलौं
हे कान्हा, मधुवनमे रास रचेलौं
सबकेँ बंशीकेँ धुनपर नचेलौं
लैते जनम अहाँ केलौं नाटक
सुतल सिपाही खुजल फाटक
यमुनासँ अपन चरण धुएलौं
गोकुलकेँ निज गाम बनेलौं
हे कान्हा, यशोदाकेँ लल्ला कहेलौं
सबकेँ बंशीकेँ . . . .
बरसानाकेँ राधा रानी
छल गोपी सब प्रेम दिवानी
माखन चोरेलौं चीर चोरेलौं
रक्षस सबकेँ मारि खसेलौं
हे कान्हा, गोवर्धनकेँ उठेलौं
सबकेँ बंशीकेँ . . . .
जगकेँ देलौं गीताक ज्ञान
सारथी बनि देलौं सम्मान
नर-नारी सब गाबय गीत
पूर मनोरथ लिखल "अमित"
हे कान्हा, सब संग छल बड केलौं
सबकेँ बंशीकेँ . . .
जय श्री कृष्ण
अमित मिश्र
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