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गुरुवार, 29 अगस्त 2013

नोर

138. नोर

- यै काकी, अहाँ केहन मौगी छी ! एँ यै मौगीक करेज तँ कमजोर मोम सन होइत छै आ अहाँक तँ पाथरोसँ कठोर बुझना जाइत अछि ।
- तूँ एना किए बाजै छें रौ छौड़ा ?
- एँ यै, एतऽ अहाँक आगूमे अहाँक पतिक लहास परल अछि आ अहाँक आँखिमे एक ठोप नोर नै अछि ।
- मरि गेलै तँ मरि गेलै, हम किए कानब !हमर नोर सूखि गेल अछि ।
- एना किए बाजैत छी यै ?
- हमर कमौआ बेटा गलतीसँ सीमा पार चलि गेलै ।आठ साल भऽ गेलै मुदा ओ नै एलै ।ओकरा लेल बड नोर बहेलौं ।बुढ़बो कानिते मरल ।एकर हिस्साक नोर तँ बेटाक हिस्सामे चलि गेलै रौ बौआ ... आह... तूँ हमर घाव नोंचि देलें ...रौ बेटा रौ बेटा...कतऽ गेलै रौ सोना...बाप रे बाप...

अमित मिश्र

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