बाल कबिता-116
भोरे उठिहऽ, दतमनि करिहऽ
रगड़ि-रगड़ि कऽ देह मलिहऽ
चढ़तऽ देहपर बड चुहचूही
बौआ दूध लेबऽ कि दही
दूध लगै मीठगर-मीठगर
दही बेसी दिनक खटगर
खैहऽ वैह जे लगऽ सही
बौआ दूध लेबऽ कि दही
दूधमे चिन्नी भेटबे करतऽ
दही संग तँ नोने भोटतऽ
दूध पीब चलऽ दही मही
बौआ दूध लेबऽ कि दही
अमित मिश्र
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