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गुरुवार, 1 मई 2014

मजदूर

180. मजदूर

मालिक दरमाहा नहियेँ बढ़ेलकै ।मजदूर युनियनक नेताकेँ अपन अपमान जकाँ बुझेलै ।पूरा कारखानामे हड़ताल करबात घोषणा कऽ देलकै ।यंत्रवत्‌ सब मजदूर ओकर कथनक पालन केलकै ।थाकि-हारि कऽ मालिक कम्प्रोमाइज करबाक लेल तैयार भेलै ।दरमाहामे 30%क वृद्धि करबाक बात मानलकै, मुदा युनियनक नेता 50% बढ़बैक लेल कहि रहल छलै ।फैसला नै भऽ सकलै ।एक दिन, दू दिन . . .दस दिन. . .बीस दिन बीत गलै ।टाकाक कमी चलते मजदूर मोन लोहछऽ लागलै ।काज शुरू करबाक लेल कुनमुनाए लागलै, मुदा नेताक दबाब काज शुरू नै करऽ दै छलै ।एक मास बीत गेलै ।घरक चुल्हा धरि ठंढा गेलै ।आब मजदूर मानैक स्थितिमे नै छलै ।सब काजपर चलि देलकै ।नेता फेर रोकलकै "एँ यौ, अहाँ सब एते उताहुल किए भऽ गेलौं !अहाँ मजबूर भऽ जेबै तँ ई मलिकबा सब फायदा उठाएत ।काजपर नै जाउ ।"
नेताक बातक जबाब भीड़ देलकै "हम सब पहिनेसँ मजबूर छी तेँ तँ एखन मजदूर छी बाबू ।अहाँक चुल्हि जड़ितो हएत, मुदा हमर चुल्हि मजबूर भऽ कऽ आगि उगलब छोड़ि देलक अछि ।"
कारखानाक ठण्ढाएल मशीन गरमा गेल छलै ।

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