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शनिवार, 28 जून 2014

अरे तरेगण !

बाल कविता-130
अरे तरेगण !

अरे तरेगण, बात बता तूँ, रहै छेँ एतबा दूर किए
भुक-भुक करैत रहै छेँ तूँ, बरै छेँ ने भरपूर किए

सुनलौं तुँहूँ तँ सुरजे छेँ आ सुरजे सन छौ रूप तोहर
तखनो अन्हार लगै छौ सदिखन, मिझेलौ इजोतक घूर किए

चाने जकाँ तुँहूँ पड़ाइ छेँ, दिनसँ एते किए डेराइ छेँ
बूझि पाबी ने लफड़ा तोहर, चानेसँ दोस्ती पूर किए

राति कऽ चमकल कर चमचम, अन्हारमे होइए डर बहुत
तोरा संग छीयौ हम आब, तखन भारी डरक तूर किए

अमित मिश्र

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