गजल-2.44
देहक डिबियामे साँसक तेल अजब
अन्तिम गति बुझितो नेहक मेल अजब
सदिखन चिन्ता ई दीया नै मिझाइ
प्रतिपल छै बाती-झंझाकेँ खेल अजब
सब ठाँ झगड़ा उकटा-पैंची सदिखन
उसरल सब काजो भाँगठ भेल अजब
ओ जनमक छल केहन टा ब्याज बचल
ऐ जनमहुँमे नै छोड़ल गेल अजब
जा धरि चलती ता धरि सब संग अपन
जे पोसय से जड़बय ई खेल अजब
2222-2222-121
देहक डिबियामे साँसक तेल अजब
अन्तिम गति बुझितो नेहक मेल अजब
सदिखन चिन्ता ई दीया नै मिझाइ
प्रतिपल छै बाती-झंझाकेँ खेल अजब
सब ठाँ झगड़ा उकटा-पैंची सदिखन
उसरल सब काजो भाँगठ भेल अजब
ओ जनमक छल केहन टा ब्याज बचल
ऐ जनमहुँमे नै छोड़ल गेल अजब
जा धरि चलती ता धरि सब संग अपन
जे पोसय से जड़बय ई खेल अजब
2222-2222-121
सादर आभार सर
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
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