गजल-2.35
अहाँ सुखी छी तेँ सब दुखी छै
सभक अधरपर कम-सम हँसी छै
सुमन खसल अछि मौला कऽ भूपर
परञ्च गाछक खातिर कली छै
सभक हियामे सुलफा बनल छी
विकास अनके सुनु चौमुखी छै
नहाउ कतबो तन रगड़ि बौआ
शरीर माटिक बिनु और की छै
उफान धेने कोसीक जलघर
हिमालयक सब दर्दक नदी छै
1212-22-2122
अहाँ सुखी छी तेँ सब दुखी छै
सभक अधरपर कम-सम हँसी छै
सुमन खसल अछि मौला कऽ भूपर
परञ्च गाछक खातिर कली छै
सभक हियामे सुलफा बनल छी
विकास अनके सुनु चौमुखी छै
नहाउ कतबो तन रगड़ि बौआ
शरीर माटिक बिनु और की छै
उफान धेने कोसीक जलघर
हिमालयक सब दर्दक नदी छै
1212-22-2122
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