गजल-2.34
उपर अकास नीचा धरती अपन छै
हिम्मत छै तँ सब ठाँ चलती अपन छै
अपन लहाश अपनहि कन्हा उठाबी
जीवनमे करल किछु गलती अपन छै
सब चलि रहल पाछू जयकार करिते
शाइत सबसँ बड़का बढ़ती अपन छै
भागि रहल धुआँ बनि जग पाइ पाछू
एकर हाथमे ई जगती अपन छै
पीबि कऽ गप "अमित" जिनगी नै कटै छै
किछु करमो कऽ लिअ ई विनती अपन छै
2112-1222-2122
उपर अकास नीचा धरती अपन छै
हिम्मत छै तँ सब ठाँ चलती अपन छै
अपन लहाश अपनहि कन्हा उठाबी
जीवनमे करल किछु गलती अपन छै
सब चलि रहल पाछू जयकार करिते
शाइत सबसँ बड़का बढ़ती अपन छै
भागि रहल धुआँ बनि जग पाइ पाछू
एकर हाथमे ई जगती अपन छै
पीबि कऽ गप "अमित" जिनगी नै कटै छै
किछु करमो कऽ लिअ ई विनती अपन छै
2112-1222-2122
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