बाल कविता-155
करिया मेघ उड़ै छै
करिया मेघ उड़ै छै ऊपर
सभक मोन डेराबै छै
खन बममे लगबै छै लुत्ती
खन बिजली चमकाबै छै
खन पश्चिम खन पूरब देखू
हवा संग उधियाबै छै
नील नदी सन अम्बर बीच
जेना नाह चलाबै छै
बरसि उठय संग पाथर लेने
धरतीकेँ हरियाबै छै
धन बरखा जे डोबरीमे
कागतक नाह चलाबै छै
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