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सोमवार, 5 जनवरी 2015

करिया मेघ उड़ै छै


बाल कविता-155
करिया मेघ उड़ै छै

करिया मेघ उड़ै छै ऊपर
सभक मोन डेराबै छै
खन बममे लगबै छै लुत्ती
खन बिजली चमकाबै छै

खन पश्चिम खन पूरब देखू
हवा संग उधियाबै छै
नील नदी सन अम्बर बीच
जेना नाह चलाबै छै

बरसि उठय संग पाथर लेने
धरतीकेँ हरियाबै छै
धन बरखा जे डोबरीमे
कागतक नाह चलाबै छै

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