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गुरुवार, 16 जुलाई 2015

आगि

189. आगि

आइ नवम् कक्षामे शिवपूजन सहाय रचित "कहानी का प्लाॅट" नामक कथा पढ़बैत रही ।जहिना-जहिना शब्द बढ़ैत गेल तहिना-तहिना विद्यार्थीक संग हमहूँ कथामे बन्हाइत गेलहुँ ।अमीरीक कब्रपर उपजल गरीबीक कष्टकेँ बड नीक जकाँ देखाएल गेल छल ।गरीब अर्धनंग रूपवती भगजोगनीक दुखक वर्णन मनकेँ विचलित कऽ देलक ।एते रोचक कथाक अंतमे भगजोगनी पतिक मुइलाक बाद अपन सतौत बेटासँ वियाह कऽ लैत अछि ।ई सुनि एकटा छात्रा बाजि उठल,"सर, ई कोना संभव छै ?अपने बेटासँ वियाह करब तऽ पाप भेलै ! ई तऽ कुकर्म भेलै ।आखिर एते पैघ लेखक एहन शब्द किए लिखलनि ?"
उत्तरमे किछु नै फुरा रहल छल ।बातकेँ कहुना टारैत हम मने मन सोचऽ लागलौं जे कोनो लेखक ककरो पेटक आगिकेँ मिझा नै सकैए ।ई नै मिझाइ बला पेटक आगिये छियै जे लोककेँ कुकर्मक बाटपर ठेल दै छै ।

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