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मंगलवार, 11 अप्रैल 2017

मैथिली बाल कविता- अंगूर

बाल कविता- 256
अंगूर

रसगर मिठगर सुन्दर अंगूर
चौकोपर बिकाइ छै ।
छुबिते एकरा टुभ द' खसै
बहुते ई लजाइ छै ।
मोती जकाँ लागै छै अनमन
देख मोन लोभाइ छै ।
अंगूर आगू सब किछ फीका
मुँहमे जखन जाइ छै ।

अमित मिश्र

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