258. सूरज चच्चा
सूरज चच्चा सूरज चच्चा किए उठै छी एते सबेर अहींक चलते मम्मी हमरा सूत' नै दै कनिको देर अपन नीन तोड़ै छी अहाँ हमरो नीन तोड़ाबै छी की अहूँकेँ मम्मी सूत' नै दै तें दोसरोकेँ जगाबै छी
अमित मिश्र
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