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मंगलवार, 19 मार्च 2013

आमक गाछीमे

बाल कविता-20
आमक गाछीमे

भरि नगरीमे लोहछल लू चलै छै
मुदा गाछीमे शीतल पवन बहै छै
रहि-रहि रसगर रसाल खसै छै
आमक गाछीमे बड नीक लगै छै

रहि-रहि कऽ कोइली गीत गबै छै
कारी कौआ कारी जामुन खसबै छै
मधुमाछी मिठगर मधु दऽ दै छै
आमक गाछीमे बड नीक लगै छै

खन ती-ती, खन डोल-पाती खेलै छै
संगमे जँ किछु मीत रहै छै
ढेपो खसै तँ सब दौड़ पड़ै छै
आमक गाछीमे बड नीक लगै छै

इस्कूल बंद, कोनो चिन्ते नै छै
भोजन-भात संगे लऽ चलै छै
आजाद पक्षी जकाँ नेना रहै छै
आमक गाछीमे बड नीक लगै छै

अमित मिश्र

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