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रविवार, 17 मार्च 2013

वेलेन्टाइन डेपर


वेलेन्टाइन डेपर

आन दिनसँ आइ अलग मौसम लागि रहल अछि
भोरेसँ युवक -युवती बजार दिश भागि रहल अछि
किनको प्रेम तँ किनको थप्पर लागि रहल अछि
किनको चप्पलसँ तँ किनको उपहारसँ भाग जागि रहल अछि
पूर्ण रूपसँ वातावरण प्रेममय भऽ गेल अछि
मुदा हम एखनो एकरासँ अछूत भऽ एकतमे बैसल
लिखि रहल छी अपन दर्दक कथाक कुहराबैत पाँति
ताकि रहल छी खून मिलाएल खसैत नोरक समाधान
एखने एकटा मित्रक फोन आएल ,प्रेमक फोन
हँसि रहल छलथि प्रेमक युद्ध भूमिमे भेटल विजयपर
बजा रहल छलथि गमकैत नव दुनियाँक उदघाटन लेल
मुदा हमरा अपन उजरल घरसँ बड सिनेह अछि
नै जा सकै छी एकरा छोड़ि कोनो थियेटरक मंचपर

हम कानि रहल छी ,कण्ठ फाड़ि रहल छी
ई जुनि बुझू प्रेमक हारल छी आ गला रहल देह
हम कानि रहल छी आजुक समाजपर ,युवापर
नै निकलै छन्हि माए-बापक लेल एक्को दिन
मुदा काज हरमाज करै छथि "वेलेन्टाइन डे"पर
माएक गुदरी बदलै लेल नै रहै छै एक्को टाका
मुदा होटल ,उपहारमे उझलै छथि लाखक-लाख
हम कानि रहल छी बदलैत मानसिकतापर ,कानबे करब

आब भीज गेल अछि कथा लिखल सबटा पन्ना
ओहि नुनछराएन पानिमे मेटा गेल सबटा आखर
ताकि रहल छी ओहि पन्नापर दर्दक कथा
हाय रे! दर्द कहाँ भेटल ,कहाँ भेटल खून
आब तँ हमहूँ हँसि सकै छी ,दऽ सकै छी उपहार
बजा सकै छी कोनो नव प्रेमिकाकेँ होटलमे
किओ गोटा ई नै कहू जे हम बदलि गेलौं
किएक नै बदलब
हमहूँ तँ नवके युगक
बदलल मानसिकता वला युवक छी

अमित मिश्र

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