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रविवार, 17 मार्च 2013

आशक इजोत


आशक इजोत

मोनक जहाजपर चढ़ि
संसाधनक सागरमे बौआइत
तकनीकी तालमे उब-डुब करैत
टकराइ छथि यथार्थक चट्टानसँ
चूर-चूर भऽ जाइ छै सपना
बेरोजगारक इएह होइ छै हाल

अरजल ज्ञानक तखता पकड़ि
हेलै छथि एहि लोभाबैत सागरमे
अथक मेहनतपर पानि फेरैत ढेह
पैरबी ,टाकाक ढेहसँ टकराइत
हेलै छथि रोजगार रूपी किनारा लेल
असफलताक मगरमच्छसँ बचैत-हेलैत
दूर ,बहुत दूर जाइ छथि जीवनमे
नै भेटैछ किनारा
हारि-थाकि मरबाक नजदीक पहुँचते
देखै छथि कोनो प्रकाश-स्तंभकेँ
जकर झलफल इजोतमे देखै छथि
टाका ,दू टाकाक वर्जित रोजगार
मोनकेँ उड़ान आ भेटैछ किनारा
तखने आशक दोबर इजोत
बहराइत अछि बेरोजगारक नैनसँ
जाहिसँ जगमग भऽ जाइ छै
तकनीकक अथाह अन्हार-कुप्प सागर

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