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रविवार, 17 मार्च 2013

गुलाब आ हम


गुलाब आ हम

जहिना एक्कै टा फुलबाड़ीमे बहुते रास जनमल गुलाब
तहिना एहि समाजमे रंगबिरही लोक रहैत छथि
जहिना रंगबिरंगक आकार-रंगमे फूलाएल गुलाब
तहिना लोक अलग-अलग भाव करेजमे भरै छथि
जहिना हँसैत पंखुरीक प्रेममे आबैत अछि भौंरा
तहिना आकर्षित होइत छी हम कोनो वस्तु देख
जहिना फूल देख हर्षित होइत छी चिन्ता रहित
तहिना हमरो मीठ बोल पहुँचाबैछ खुशीक चरमपर
जहिना कठोर काँट शोणिता दैत अछि तन-मनकेँ
तहिना हमर गलत कर्म करबैत अछि दर्दक सीमा पार
तेँ हमरा आ गुलाबमे मिसियो भरि अंतर नै छै
जाहि पाँच तत्वसँ रचल गेल अछि मनुखक देह
वएह पाँच तत्वक उपयोग कऽ जनमैछ गुलाब
तखन अहीं कहू कोना अलग रहि सकै छी हम आ गुलाब

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