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सोमवार, 11 मार्च 2013

रामभरोसे

बाल कविता-6
रामभरोसे

रामभरोसे छै बड अलबटहा
तेँ तँ बाबू कहै छथि गदहा
माँगब चिन्नी , दै युरिया-नोन
बिनु सोचने बाजै चिन्ते कोन
गोबर-करसी वएह करै छै
हमरा लेल दूध वएह दूहै छै
गायक संग उहो घास चरै छै
सब तँ छै सागे कहै छै
जाड़ोमे नै जाड़ लागै छै
गर्मीमे ओढ़ना ओढ़ै छै
खाइ खैनी तेँ थपरी पीटै छै
देरसँ सूतै मुदा भोरे उठै छै
उल्टे-पुल्टे मुदा सब काज करै छै
बैसा कन्हापर हमरो घुमबै छै
कहियो जलखइ कहियो लै सिदहा
रामभरोसे छै बड अलबटहा

अमित मिश्र

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