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सोमवार, 11 मार्च 2013

उसनल अण्डा आ न्याय

बाल कविता-11
उसनल अण्डा आ न्याय

एकटा राजा टुनटुन पूरमे
राज करै छल बड नीकसँ
एक दिन घटलै अजगुत घटना
सोनमाकेँ पकड़ने एलै कोनमा
कोनमा कहलक सोनमाकेँ देखू सरकार
चोरा कऽ खेलक उसनल अण्डा राति अन्हार
अण्डासँ मूर्गी बहरैतै
ओहिसँ बहुते मुर्गी होइतै
बेच बेच खूब पाइ कमैतौं
बड़का गाड़ी बंगला किनितौं
एकरा दिऔ सजा कड़ाइ
हमरा दिआबू सबटा पाइ

राजा बहुते सोचमे पड़ल
धियानसँ सबटा गप बूझल
बूझि गेल कोनमाकेँ चालि
बूधिक काल चलेलक हालि-हालि
राजा कहलक सून रै कोनमा
दौड़ल चलि जो अपन अंगना
बबूरक गाछपर आम छै फरल
तोड़ने आबें सबटा पाकल

कोनमाकेँ माँथा चकरेलै
बबूरमे आम कतऽसँ एलै
राजाकेँ निज शंका कहलक
राज तखन गप बूझेलक
जहिना बबूरमे नै आम फड़ै छै
तहिना उसनल अण्डासँ नै मुर्गी जनमै छै
कोनमा मानलक अपन गलती
सोनमासँ भऽ गेलै दोस्ती
न्याय देखि बड ताली बाजल
नाँगरि दाबि कऽ कोनमा भागल

अमित मिश्र

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