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सोमवार, 11 मार्च 2013

झड़कल सोहारी

12.झड़कल सोहारी
थारीमे पड़ल झड़कल सोहारी
कानि रहल छल जोर जोरसँ
पुछलक थारी तूँ किए कानै छें
कानि-कानि नीन्नसँ किए जगबै छें
सोहारी बतेलक सबटा व्यथा
रंग भऽ गेल अछि हमर करिया
थारी बाजल ई सब की केलें
गमलामेँ छलें तँ उज्जर छलें
जखने तावा अपन करेजसँ साटलकौ
तखने अपन रंग तोरा दऽ देलकौ
ई सब तँ सङतिक प्रभाव छै
ककरो नेह तँ ककरो घाव छै
तेँ बचल रह जे गलत सङतिक
मीत बना जे होइ साफ मोनक
तखने थारीसँ दोस्ती भऽ गेल
झड़कल सोहारी खुश भऽ गेल

अमित मिश्र

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