बाल कविता-18
बिल्लो मौसी बड खुरलुच्ची
बिल्लो मौसी छै बड खुरलुच्ची
पी गेल दूध, खा गेल लुच्ची
फोड़ि देलक पैसा बला चुक्की
आतंक मचेलक घरमे बुच्ची
चारि-पाँच मोछ ठाढ़ सुइया सन
मूस राजासँ रहै छै अनबन
अटकि-पटकि दै बर्तन-बासन
जियान केलक भरि मासक राशन
चमकै आँखि चमचम चमचम
म्याँऊ-म्याँऊ केर सदिखन सरगम
तोड़ि दै नीन्न खसि-खसि धम्म
बड़का खुरलुच्ची छै बिल्लो बम
अमित मिश्र
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