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सोमवार, 18 मार्च 2013

बिल्लो मौसी बड खुरलुच्ची

बाल कविता-18


बिल्लो मौसी बड खुरलुच्ची



बिल्लो मौसी छै बड खुरलुच्ची

पी गेल दूध, खा गेल लुच्ची

फोड़ि देलक पैसा बला चुक्की

आतंक मचेलक घरमे बुच्ची



चारि-पाँच मोछ ठाढ़ सुइया सन

मूस राजासँ रहै छै अनबन

अटकि-पटकि दै बर्तन-बासन

जियान केलक भरि मासक राशन



चमकै आँखि चमचम चमचम

म्याँऊ-म्याँऊ केर सदिखन सरगम

तोड़ि दै नीन्न खसि-खसि धम्म

बड़का खुरलुच्ची छै बिल्लो बम



अमित मिश्र

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