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बुधवार, 5 जून 2013

परवाह

विहनि कथा- 52
परवाह

एक टा नवयुवक एक टा नवयुवतीकेँ मोटरसाइकिलपर बैसेने राजधानीक चालमे चलि रहल छल ।युवती भरि पाँज कऽ ओकरा पकड़ने छल ।सेकेण्डे-सेकेण्डे चाल बढ़बैत युवक मिनटे-मिनटे ब्रेक लैत छल जाहिसँ युवतीक स्पर्श कने बेसिये अनुभव होइत छलै ।किछु देर बाद युवक हेण्डिलसँ हाथ हटबैत बाजल " हम तोहर प्रेमक लेल दुनियाँकेँ छोड़ि सकै छी ।"
युवतीक नजरि पहिने ओकर हाथपर पड़लै फेर हेण्डिलपर ।ओ डेराइत बाजल " प्रेम बादमे पहिने गाड़ी सम्हार नै तँ मारल जाएब ।"
युवक चश्माँ आँखिसँ हटा माँझ माँथपर राखैत बाजल " की हेतै एक्सीडेन्टे ने? हम तँ तोरा लेल जान दऽ देबौ ।"
युवती जबरदस्ती मोटरसाइकिल रोकबेलक आ उतरि कऽ बाजल "जकरा अपन जानक परवाह नै छै ओ हमर रक्षा कोना करतै ।तोरासँ तँ किओ मूर्खे प्रेम करतै ।"
युवक युवतीकेँ देखिते रहि गेल ।युवती पर्स डोलबैत टेम्पूमे बैस गेल छल ।

अमित मिश्र

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