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शनिवार, 15 जून 2013

बाल कविता-हम आ कोइली

बाल कविता-69
हम आ कोइली

हम तँ छी निज घरक गुड़िया
तूँ धरती परहक सुर सम्राज्ञी छें
हम गौआँ-घरुआक पियरगर छी
तूँ सरस्वतीक शिष्या दुलारी छेँ
हम हँसलौं, घर-आँगन हँसल
तूँ पोल्बैत गाबि नचारी छें
हम सूतै छी आँचरक छाँहमे
तूँ सूतें चढ़ि गाछक अटारी छें
हम बाँटै छी नन्हकी मुस्की
तूँ बाँटैत प्रीतक बखारी छें
हम माँगै छी चोकलेट बिस्कुट
तूँ माँगैत अपन आजादी छें
हम तँ छी घरक बुचिया रानी
तूँ सभक कोइली सुकुमारी छें
हम छी घरक गुड़िया बेटी
तूँ धरतीक राजकुमारी छें

अमित मिश्र

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