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शनिवार, 20 जुलाई 2013

हम गुलाबक फूल छी प्रभु

बाल कविता-90
हम गुलाबक फूल छी प्रभु

हम गुलाबक फूल छी प्रभु
निज चरणमे जगह दिअ
हम गुगुलक गमगम धुआँ
अपन आँगनमे बहऽ दिअ
गंगा जल सन कंचन हम छी
नित निज पद रज धोअऽ दिअ
हम छी चानन कुमकुम सन
निज भालपर सजऽ दिअ
हम सोना, चानी छी प्रभु
निज मुकुटपर जगह दिअ
अहाँ जानै छी वर्तमान भूत
भविष्य तँ हमरा गढ़ऽ दिअ
हम नेना छी पुष्पहार प्रभु
अहाँक करेजसँ सटऽ दिअ
जग भरिक तम हरि ली हम
हे प्रभु, इजोतमे रहऽ दिअ
हम अज्ञानी ज्ञान माँगै छी
हमरापर नयन रहऽ दिअ

अमित मिश्र

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [22.07.2013]
    चर्चामंच 1314 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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  2. इसके लिए हार्दिक धन्यवाद सरिता जी

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  3. .........बहुत सुंदर !
    पहली बार आपके ब्लॉग को पढ़ा मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है

    राज चौहान
    http://rajkumarchuhan.blogspot.in

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  4. हार्दिक धन्यवाद चौहान जी

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  5. ...बहुत सुंदर !
    पहली बार आपके ब्लॉग को पढ़ा मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है!

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  7. हार्दिक धन्यवाद कैलाश जी

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