146. शुभ भोर
सब दिन हँसिते रहै बाली रधियाक मुँहपर आइ दुनियाँ भरिक उदासी कब्जा कऽ लेने छलै ।चौकठिसँ ओठङि कऽ बैसल रधियाक आँखिक आगू अपन सत्ताक पतन आ नव सत्ताक उदय देखाइ दैत छलै ।आइ ओकर एक मात्र बेटा परदेशसँ आबि रहल छलै ।ओतै वियाह केने छलै आ आइ भोरे-भोर कनियाँक संग आबि रहल छै ।आजुक बेटा-पुतहु जकाँ ओकरो बेटा-पुतहु ओकरा घरसँ भगा देतै, गंजन करतै ।इएह चिन्ता साँझेसँ ओकरा खेने जा रहल छै ।कनियाँ शहरी छथि, ई सोचि चिन्ता बेसिये भऽ जाइ ।जेना-तेना भोर भेलै ।चरिचक्किया दलानपर आबि कऽ रूकलै ।बेटा-पुतहु गाड़ीसँ उतरि रधिया लऽग आएल आ पएर छूबि आशीर्वाद लेलक ।माएकेँ उदास देख बेटा पुछलकै "एँ गै माए, एते दिन बाद तोहर बेटा एलौ आ तूँ उदास भेल छें ?"
रधियाकेँ रहल नै गेलै ओ बाजल "हमरा डर अछि जे रामाक बेटा जकाँ तुँहूँ हमरा घरसँ बैलगा देबहीं आ तोहर कनियाँ धधकैत चेरा लऽ कऽ मारतौ ।"
एते सूनि रधियाक हाथ पकरि पुतहु बाजलीह "माँजी लोककेँ अपन बूधिसँ काज करबाक चाही नै कि देखाउँस ।ओ तँ अभागल हएत जे माएकेँ मारत आ बैलगाएत ।अहाँ हमरा जनम नै देलौं तैसँ की, अहाँक हमर सोहागक जननी छी ।अहाँ हमर मायोसँ पैघ छी ।जँ सोहाग परमेश्वर होइत छथि तँ ओकर जननी परमेश्वरोसँ पैघ भेली ।अहाँ निफिकिर रहू ।खाली अपने कोखिक बेटी बुझू आशीर्वाद दैत रहू ।"
पुतहुक बात सूनि रधियाक आँखि नोरा गेल ।झट दऽ पुतहुकेँ छातीसँ सटा लेलीह ।आजुक कुपोषनक शिकार भेल समाजमे शुभ भोरक संकेत भेंटि रहल छलै ।
अमित मिश्र
नीक ब्लग अछि ।
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