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रविवार, 6 मार्च 2016

निर्गुन- सत्य एकटा ईश्वर छै

एहि दुनियाँमे किछु नै स्थिर, एहि ठाँ सब किछु नश्वर छै
सगर असत्यक लहर बीचमे सत्य एकटा ईश्वर छै
1
गारा- गारी मारा-मारी सब लफड़ा छै जीवन लए
झूठ-फरेबक चाल चलैये, केवल जिनगी नीमन लए
जा धरि जीवय धन अरजैके, चिन्ता साझ आ भिनसर छै
सगर असत्यक लहर.....
2
तोड़ि पिंजरबा उड़त चिड़ैयाँ, कखन से नै जानै छी
खुशहाली केँ बेरमे भैया, इश्वरकेँ ने गुदानै छी
खन वसंत खन पतझड़ आबय, कोनो फिकिर ने तक्कर छै
सगर असत्यक.....
3.
करू यौ सब दिन अहाँ भजनिया, स्वर्ग धरिक बटखर्चा लए
सदति रहू तैयार मनुज सब, जीवनक अंतिम पर्चा लए
कालक डाँग देखय नै कखनो, के मोटका के दुब्बर छै
सगर असत्यक....

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