बाल कविता-82
खेल कबड्डी
बचेने टाँग बचेने हड्डी
बड्डी बड्डी खेल कबड्डी
दू टा टुकड़ी बना खेलाड़ी
बीचमे पाड़ सीमा सरकारी
सजा खेलाड़ी निज फुलबाड़ी
एम्पायरो कऽ रहल तैयारी
जल्दी-जल्दी साँस भर
जाइकेँ छौ तोरा आन घर
कबड्डी-कबड्डी बाजैत जो
सीमापर सँ दौड़ैत जो
हे हे दौड़लै घरक लोक
बहरियाकेँ धेलक जेना जोंक
घीच कऽ आने सीमापर
साँस टूटौ नै अनकर घर
साँस टूटतौ तँ जेबें सड़ि
घीच लेबें तँ जेतौ मरि
तेँ बचने टाँग बचेने हड्डी
बड्डी बड्डी खेल कबड्डी
अमित मिश्र
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