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शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

विद्यार्थी

113. विद्यार्थी

बस स्टेण्डपर भीड़क बीच एकटा करूण क्रन्दन सूनि मोन विचलित भऽ गेल ।एकटा अठारह वर्षक नवयुवक पीठपर बैग टाँगने ठाढ़ छल ।आँखि-मुँह नीक, पढ़ल-लिखल लागैत छल ।ओ एकटा बटोहीकेँ कानि-कानि कहैत छल "हम विद्यार्थी छी ।कए दिनसँ भूखल छी... बाढ़िमे सब भासि गेल... किछु टाका वा भोजन दिअ ... नै तँ...हम मरि जाएब ।"
ओकर गप सूनि कतेको बटोही ओकरा दबारि कऽ भगा देलकै ।कतेको ओकरा ठक कहलकै ।कतेको लोकक कहब छलै जे छौड़ा झूठ बाजै छै ।जे भूखल रहतै तकर मुँहपर एते तेज नै रहतै ।एकरा चेहरापर तँ मिसियो ह्रासमेन्ट नै छै ।
दू दिन बाद अखबारक मुख्य पृष्टपर ओहि विद्यार्थीक मृत्युक खबर छपल छल ।एखनो बटोहीकेँ ओकर मुँहपर पुरने तेज देखाइ छलै ।ओ एखनो ह्रासमेन्ट ताकि रहल छल ।

अमित मिश्र

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