142. इनारक बेंग
-आठ हजार टाका ब्याज भेलौ, बिल्टुआ ।दू हजार मूल अलगसँ... ।
-यौ महाजन, ई तँ बड बेसी भेलै !एक वर्षमे चौगुणा ब्याज !
-दुर बुड़ि, इनारक बेंग जकाँ गामे भरिमे जिनगी बितलौ ।कने बाहर जा देखही, कते मँहगी छै ।
-हँ यौ सरकार, हम इनारक बेंग छी तँ अहाँ की छी ?अहाँ तँ घरेमे नुरिआएल रहैत छी तेँ ने विकासक बारेमे पता नै अछि ।दुनियाँ बड तरक्की कऽ गेलै ।आब किओ मुर्ख नै छै जे अहाँ ठकि लेबै ।हमर पोता जोड़ि देलक हेँ ।दू सए ब्याज हएत, काटि लिअ. . . ।
अमित मिश्र
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