गजल-1.73
अलच्छे चीज लेल दुनियाँ रकटल अछि देखू
मनुख खैरात केर जलमे भासल अछि देखू
कहै छथि हमर हमर ओ, सोचै नै छथि आनक
असलमे बाट हुनक मोनक महकल अछि देखू
कतौ छै बन्न महलमे इज्जत धरि छिड़िआयल
कतौ टाटोक कुटिरमे सब घेरल अछि देखू
कहै सब छोटकेक दुनियाँ उजड़ल अछि केवल
मुदा बड़कोक आरि धरि बड कपचल अछि देखू
"अमित" मारय किओ जँ पाथर, नै हिम्मत हारू
बुझू जे अपन सब सितारा चमकल अछि देखू
1222-2122-22222
अमित मिश्र
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