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सोमवार, 30 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-14, अंतिम भाग)

राधा- परतर ।हूँह...तूँ हुनकर पाँसङगो बराबर नै छें ।
श्याम- एना एकार पारनाइ नीक लागैत अछि की ?
राधा- एखन तूँ हमर आँखिक सोझासँ झटि जो ।एखन हमरा मात्र हम पति देखाइत अछि ।ओकरे चिन्ता अछि ।
श्याम- की भऽ गेलौ तोरा राधा ?एना किए बाजै छेँ ?लागै छै तोरापर किओ डाइन-जोगिन कऽ देलकौ ।
राधा- डाइन-जोगिन तँ एते दिन केने छलै ।एते दिन हम दोसरक वशमे छलियै ।आइये तँ हमर नीन्न टूटल अछि ।आइये तँ सेनूरकेँ चिन्हलौं हम ।
श्याम- सेनूरक चक्करमे पड़ै बाली तँ तूँ नै छलेँ ।तूँ हीं तँ कहै छलही (राधाक बाजैक स्टाइलमे) "सेनूरक मोले की छै ?वएह पाँच-दस टाका ।"
राधा- ओ हमर नदानी छल ।सचमे सेनूरक कोनो मोल नै छै, किएक तँ सेनूर अनमोल छै ।जा धरि बजारमे बिकैत छै, डिब्बामे बन्द रहै छै, ता धरि मात्र पाँच-दस टाका ओकर मोल होइ छै, मुदा...मुदा जखन ओ कोनो नारीक सिंउथमे पड़ि जाइ छै तखन ओ अनमोल भऽ जाइ छै ।हम तँ आइ बुझलियै जे सेनूर अनमोल छै ।
श्याम- मुदा हम तोरा नै छोड़ि सकै छीयै ।हमरा तोहर रूप-यौवन पागल केने अछि।एकरा छोड़नाइ असम्भव छै ।
राधा- इएह तँ अन्तर छै तोरा आ मुरलीमे ।तूँ हमर देहसँ प्रेम करै छें आ मुरली हमर आत्मासँ सिनेह करैत छथि ।
श्याम- मुदा हमरा लेल तोरा छोड़नाइ कठिन छै ।
राधा- छोड़ऽ पड़तौ श्याम, छोड़ऽ पड़तौ ।सब युगमे श्याम राधासँ मात्र प्रेमे केलकै, वियाह नै ।
श्याम- तूँहीँ तँ कहै छलहीं जे आब इतिहास बदलऽ पड़तै ।आब श्याम राधाकेँ छोड़ि कऽ नै पड़ा सकै छै ।
राधा- कहैत छलियै, मुदा सब बेर श्याम राधाकेँ ओकर हालतमे छोड़ि देलकैए ।इहो बेर छोड़तै तँ कोनो जुलुम नै हेतै । मुदा सब बेर मुरलीक अवाज राधाक संग रहलै ।सब युगमे राधाकेँ मुरलिये आकर्षित केलकै ।राधा श्याम लेल नै, मुरली सूनै लेल नाचै छलै ।तेँ इहो युगमे (अपना दिस देखबैत) ई राधा अपन मुरलियेक संग रहतै ।
श्याम- एखनो समय बचल छै राधा ।सोचि ले ।हमरा संग रहलासँ आधुनिक सुख-सुविधा भेटतौ ।
राधा- हमरा कोनो सुविधा नै चाही ।सबसँ पैघ सुख पति होइ छै ।पतिक संग सबसँ पैघ सुविधा भेटै छै ।
श्याम- मुदा एतऽ गोइठा ठोकऽ पड़तौ ।चुल्हिक धुआँ पिबऽ पड़तौ ।
राधा- मंजूर अछि ।जँ पति पानि ढारैत रहय तँ गोइठो ठोकि लेब ।पतिक बाँहिमे चल्हिक धुआँ अगरबत्ती सन गमकऽ लागैत अछि ।
श्याम- मुदा...
राधा- मुदा किछु नै ।किछु भऽ जाए हम पुरना सेनूर मेटा कऽ नवका सेनूर नै लगबै ।(दुनू हाथ जोड़ैत) हम दुनू हाथ जोड़ै छियौ ।तूँ जो ।हमरा अपन पतिक संग खुशी-खुशी रहऽ दे ।
(राजा आ मुरलीक प्रवेश होइत अछि ।मुरलीकेँ देखिते राधा मुरलीकेँ भरि पाँज कऽ पकड़ि लैत अछि ।राजा आ श्याम थपड़ी बजबऽ लागैत अछि ।)
श्याम- वाह ।आइ हमर आँखि खुलि गेल ।(मुरली दिस घुमैत) सचमे झा जी अहाँ जीत गेलौं ।हमर पाँच सालक प्रेमकेँ अहाँक सात मासक प्रेम हरा देलक ।
राजा- प्रेम हार-जीत नै होइ छै श्याम बाबू ।प्रेम, प्रेम होइ छै ।सभक लेल बराबर ।एतऽ तँ सेनूर अहाँक प्रेमकेँ हरेलक अछि ।
श्याम- मुदा राधाक माँग तँ एखन धरि खालिए छै ?
मुरली- सेनूर लगेलाक बाद माँथ दर्द करऽ लागैत छनि ।
श्याम- एहन कोनो बात नै छै पाहुन ।हमर शर्त छलै तेँ सेनूर नै लगबैत छलै ।(अपन जेबीसँ सेनूरक डिब्बा निकालि कऽ मुरली दिस बढ़बैत अछि ।) लिअ...आइ शुभ दिन अछि ।सेनुरा दियौ राधाकेँ ।भरि दियौ राधाक उदास सिंउथ ।
(मुरली सेनूरक डिब्बा लऽ लैत अछि ।एक चुटकी सेनूर राधाक माँगमे दऽ दैत अछि ।राधा मुरलीक पएर छू प्रणाम करैत अछि ।)
राधा- हम अहाँकेँ तड़पाबैत रहलौं ।अपन प्रेम कहियो नै देलौं ।हमरा माँफ कऽ दिअ ।
मुरली- (राधाक बाँहि पकड़ि उठबैत)देर एलौं दुरूस्त एलौं ।अहाँ कोनो गलती करबे नै केलौं तँ हम माँफी कथीक देब ।अहाँ सदिखन हमर करेजमे छी आ सदिखन रहब ।
(राजा आ श्याम थपड़ी बजबैत अछि ।)
राजा- इति विवाह सम्पन्नम् ।फूल, माला, मण्डपक झंझट खतम ।
(सब हँसऽ लागैत अछि ।)
श्याम- रुकू...रुकू, एते जल्दी खतम नै करियौ ।एखन शिमला दर्शन बाँकिए छै ।(राधा दिस घुमैत) की राधा, शिमलामे हनीमून मनबै लेल जाइक छै ने ?
राधा- धत्, लाजो नै होइ छौ ।
(सब ठहक्का मारि हँसऽ लागैत अछि ।धीरे-धीरे पर्दा खसैत अछि ।)

*समाप्त*

अमित मिश्र

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