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सोमवार, 30 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-13)

श्याम- आब बेटी लेल तँ तड़पबे ने करतै ।
राज- कोन होस्पिटलमे छथिन ?
श्याम- अपने शहरमे छथिन ।
राजा- (आश्चर्यचकित होइत) अपने शहरमे !अहाँक शहरमे किमोथेरेपी होइ छै ?
श्याम- हँ...नै...हँ...हँ...
राजा- हे, बेसी घिघियाउ नै ।अहाँक बातसँ हमरा दालिमे किछु काला बुझाइत अछि ।
श्याम- (गप बदलबाक चोष्टा करैत) हँ, कारी छै ने ।कारी खूनक उल्टी होइ छन्हि ।खून खराप...मने कारिये भऽ गेल छनि ने ।
राजा- खून कारी भऽ गेल छनि !हमरा तँ विश्वास नै होइत अछि ।हमरा तँ अहाँ छद्म बुझाइत छी ।आइसँ पहिने अहाँकेँ कहियो नै देखने छलौं ।मुरलीक वियाहोमे तँ नहिये छलियै अहाँ ?
श्याम- हँ ओ जे छै से...मने जे...
(हाथमे बैग लेने राधाक प्रवेश होइत अछि ।)
राधा- चलू श्याम ।हम तैयार छी ।
श्याम- हँ हँ, जल्दी चलू ।ट्रेन छूटि जाएत ।
राधा- देउर जी ।घरक चाभी राखि लिअ ।(चाभी दैत अछि ।राजा लऽ लैत अछि ।)अहाँक भाइ जी कखन धरि एताह ?
राजा- जानि नै ।एताह कि नै एताह से तँ भगवानेक हाथमे छनि ।
राधा- भगवानक हाथमे छनि ! मने नै बुझलौं ।
श्याम- की अने-मनेक चक्करमे पड़ै छी राधा ।जल्दी चलू ।देर भऽ रहल अछि ।साँझमे मंदीरो परहक काज फरियेबाक अछि ।
(राधा बैग उठा कऽ चलि दैत अछि ।राधाकेँ आगू बढ़ैत देरी, राजा भोकारि पाड़ि कानऽ लागैत अछि ।कानब सूनि राधा रूकि जाइत अछि ।)
राधा- जा...अहाँ तँ छोट-छीन नेना जकाँ कानऽ लागलियै ।एना एक-बएग किए कानऽ लागलियै ?
श्याम- कोन चक्करमे पड़ि रहल छी राधा !कानै छै तँ कानऽ दियौ ।हमर कोनो किछु लऽ रहल छै ।छोरू ई सब, जल्दी चलू ।
राजा- हँ...हँ...चलि जाउ ।यौ सरकार लऽ जैयौ हिनका ।देर जुनि करू...हिनकर माएक प्राण छुटल जा रहल छनि ।जाउ-जाउ, दोड़ल चलि जाउ ।अहाँ जाइये लए छी, जाउ ।एतऽ संसार उजरि रहल छनि तकर कोन चिन्ता, कथीक फिकीर ?अरामसँ जाउ ।शौकसँ जाउ ।
राधा- ककर संसार उजरि रहल छै ?
राजा- अहाँक संसार उजरि रहल छै, और ककर उजरतै !मुरलीक जीवन उजरि रहल छै ।
राधा- हमरा चलि गेलासँ हुनक संसार उजरि जेतै, एहन सन कोनो बात तँ नै बुझना जाइत अछि हमरा ।
राजा- हँ हँ ।अहाँकेँ तँ नहियें बुझाएत ।आँखिपर अन्हरजाली जे लागल अछि ।हाय रे विधाता !केहन मौगीक रचना केलहो !एतऽ पतिक जिनगीपर ग्रहण लागल छै तकर कोनो चिन्ता नै छै, मुदा माएक जिनगी लेल दौड़ल जा रहल छै ।हाय रे विधाता !के बुझहेतै ई मोगीकेँ !
राधा- की भेलै हमर पतिक जिनगीकेँ ?
राजा- एखन धरि तँ किछु नै भेलै, मुदा अहाँकेँ गेलाक बाद हेतै ।
राधा- किए हेतै ?बातकेँ गोल-गोल नै घुमाउ ।सच्चाइ कहू, की बात छै ?
राजा- सच्चाइ...अहाँ सच्चाइ सुनऽ चाहैत छी तँ सुनू ।अहाँकेँ बूझल अछि जे अहाँकेँ हाथक एटैचीमे 10 लाख टाका कतऽसँ एलै ?कोना वेवस्था भेलै ?
राधा- नै ।
राजा- अहाँकेँ पाइ देबाक लेल ओ अपन किडनी बेच रहल अछि ।
राधा- (आश्चर्यसँ)किडनी !
राजा- हँ किडनी ।पाइ नै भेटलापर अहाँ जहर खा लितियै ।मुरली एहि बातसँ डेरा गेल छल ।पाइक वेवस्था नै भेलै ।थाकि-हारि कऽ 10 लाखमे किडनीक सौदा केलकै ।आइ अपन किडनी देबऽ लेल डाँक्टर लऽग गेल अछि ।(कने रुकि कऽ !)भौजी ओ बड प्रेम करैत अछि अहाँकेँ ।आबो तँ ओकरा चिन्ह जैयौ ।
राधा- (कानैत) हे दाता दीनानाथ ।ई केहन अपराध करबा देलहो ? हमरा टाका नै चाही ।हमरा हमर पति चाही ।जाउ...जाउ राजा...रोकू अपन भैयाकेँ ।
(राजा दौड़ल चलि जाइत अछि ।)
श्याम- ई कोन टाटक लाधि देलियै !अहाँ हमरा संग चलू ।ओकरा मरऽ दियौ ।हमरा-अहाँकेँ कोन फर्क पड़ै छै ।लोक शेर संग रहै छै, कुकुर विलाइ संग...
(राधा श्यामकेँ एक चमेटा लगबैत अछि ।)
राधा- चुप ।बड भेलौ तोहर खेल ।आब जँ हमर सोहागकेँ उल्टा-सीधा कहबें तँ तोहर प्राण हारि लेबौ ।
श्याम- सोहाग...केहन सोहाग ?तोहर सोहाग हम छी ।तूँ हमर बाँहि लेल बनल छें, हम तोरा लेल ।हमर परतर ओ मुरलिया की करतै ?

क्रमश:

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