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रविवार, 29 दिसंबर 2013

सेनूर छै अनमोल (भाग-12)

मुरली- सएह तँ...सएह तँ अहाँकेँ कहैत छी ।एक दिससँ सबकेँ अमीर भऽ गेलासँ ई समाज नै ने चलतै ।गरीबोक रहनाइ जरूरी छै ।अमीरीक रट नै लगेबाक चाही, मुदा...अहाँ समझबाक चेष्टा करी तखन ने ?हम जानैत छी, ऐ घरमे अहाँक दम घुटैत हएत ।नीक नै लागैत हएत ।मुदा कैये की सकै छीयै ?नारी लेल सासुर एहन जेल होइ छै जतऽसँ यमराजक मृत्यु-मोहर लागलाक बादे मुक्ति भेटै छै ।
राधा- कहि तँ ठीके रहल छी, मुदा आब एहन कोनो बन्हन नै छै ।आब नारी मुक्त गगनमे विचरण करै बला चिड़ाँइ बनि गेल छै ।आब कोनो पिंजरा ओकरा बन्न कऽ नै राखि सकैए ।ने सासुर आ ने सासुरक लोक ।
मुरली- जे नारी सासुरक प्रति एहन सोच राखैत अछि ओकर जिनगी दुखसँ भरि जाइ छै ।जकरा अपन पतिक प्रति प्रेम नै रहै छै ओ नारी डगराक बैगन बनि जाइ छै ।ने इम्हरके, ने उम्हरके ।किम्हरोके नै रहै छै ।नैहर-सासुर सब दुआरि ओकरा लेल बन्न भऽ जाइ छै ।ओकरा गलत नजरिसँ देखल जाइ...
(श्यामक प्रवेश होइत अछि ।श्यामकेँ देख मुरली चुप भऽ जाइत अछि ।राधा आगू बढ़ैत अछि ।)
राधा- आउ...आउ ।अहींक बाट जोहि रहल छलौं ।माए लेल टाकाक जोगार भऽ गेल अछि ।आब चलैयेक मानि रहल ।
श्याम- (प्रसन्न होइत)एँ, भऽ गेलै जोगार ।बड खुशीक बात ।कमाल कऽ देलियै अहाँ ।
(मुरलीक मोबाइल टनटना उठैत अछि ।)
मुरली- (मोबाइल उठबैत) हँ...कहू डाक्टर साहेब...अच्छे ठीक छै...ठीक छै हम आबैत छी ।अहाँ तैयारी करू ।(फोन काटि कऽ राधा दिस देखैत अछि ।)राधा, हम जा रहल छी ।पाहुनकेँ खुआ-पिया दियौन ।कने सुस्ता लेथिन तखन चलि जाएब ।हमरा आबैमे देर लागत ।घरक चाभी राजाकेँ दऽ देबै ।
राधा- ठीक छै ।अहाँ निश्चिन्त भऽ जाउ ।हम चाभी दऽ देबनि ।
(मुरली चलि जाइत अछि ।राधा आ श्याम एक-दोसरक बाँहिमे बन्हा जाइत अछि ।)
राधा- कते दिन बाद ई सुखद स्पर्श भेल अछि ।मोन होइत अछि एहिना जिनगी गुजारि दी ।
श्याम- बड तड़पेलौं अहाँ ।आब तँ अपने दुनूक राज चलतै ।चिन्ता-फिकीर जुनि करू ।आब तँ सब दिन शहरमे सब संसाधनक बीच एहन-एहन सुखद स्पर्श होइते रहतै ।
राधा- हमरा तँ एतऽ साँस फूलऽ लागैत अछि ।(दुनू अलग होइत अछि ।) चलू हाथ-मूँह धोइ लिअ ।अहाँक पसीनक तरकारी बनेने छी ।खा-पी लिअ तखन चलब ।
श्याम- हे, ई सब झंझट छोरू ।खान-पान रश्तोमे हेतै ।जल्दीसँ जल्दी एतऽसँ मुक्ती लिअ ।आइ साँझ धरि पहुँचि जेबै तँ आइये वियाहो कऽ लेब ।
राधा- एते धड़फड़ाइ किए छी !आब कोनो तरहक वाधा-विध्न नै छै ।वियाह तँ हेबे करतै ।नै खएब तँ नै खाउ ।कमसँ कम हमरा श्रृंगारो-पटार तँ करऽ दिअ ।चलैक तँ छैहे ।
श्याम- अहाँकेँ श्रृंगार-पटारक कोन जरूरति अछि ।अहाँ अपने सब श्रृंगारक बाप छी ।सुन्दरतामे अहाँकेँ के पछाड़ि सकैए ?इएह रूप तँ हमर मोनकेँ घायल केने जा रहल अछि ।मोन करैत अछि एखने पजिया ली ।
राधा- हेऽऽ, बेसी रोमान्टिक बात नै बनाउ ।ई मक्खन लगबैक कोनो जरूरति नै छै ।(एटैची दिस देखबैत )ओहि एटैचीमे पूरा-पूरी दस लाख टाका अछि ।सम्हारि कऽ राखि लिअ ।हम फट दऽ तैयार भऽ झट दऽ आबै छी ।
श्याम- ठीक छै, जाउ ।बेसी देर नै करब ।कने जल्दीए आएब ।
(राधा चलि जाइत अछि ।राजाक प्रवेश होइत अछि ।)
राजा- (श्यामकेँ देखि कऽ) अहाँ के छी ?अहाँकेँ नै चिन्हलौ ।
श्याम- हम राधाक नैहरसँ आएल छी ।हुनकर माएक मोन खराप छै ने, तेँ विदागरी करबै लेल आएल छी ।
राजा- ओऽऽऽ... बुझलौं ।आबैमे कोनो प्रकारक दिक्कत-सिक्कत तँ नै ने भेल ?
श्याम- नै नै ।कोनो दिक्कत नै भेल ।
राजा- भौजीक माए केहन छथिन ?
श्याम- केहन छथि से की बताउँ ।हालत बड नाजूक छै ।राधासँ दूर भेलाक बादसँ बड तड़पैत छलथि ।खाएब-पियब, सूतब-उठब सब बिसरा जाइत छलनि ।आखिर प्रेम तँ प्रेम होइ छै ।आब राधा जेतीह तँ सब ठीक भऽ जेतै ।
राजा- हँऽऽऽ, ठीक तँ भैये जेथिन ।मुदा भौजीक एलासँ तड़पै छलथि, से नै बुझलौं ।बिमारी तँ इम्हर आबि कऽ भेलनि, तखन शुरूएसँ प्रेमिकासँ दूर भेल प्रेमी जकाँ किए तड़पै छलथि ।

क्रमश:

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