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रविवार, 22 जून 2014

सगरो तोरे जीत

बाल कबिता-129
सगरो तोरे जीत

चान-तरेगण दूरहिं रहि गेल, दूरहिं रहल अकास
मुदा तरेगण तोड़ि आनब, तूँ रख एतबे विश्वास

कोनो काज असम्भव नै अछि, समय बरू बड लागत
तन केर तागत काज करै नै, चाही मन केर तागत

गुमसुम रहने काज चलय नै, चाही दृढ़ संकल्प
कागत केर नाह गलबे करतै, दृढ़ता जे छै अल्प

भागक दोख किछु नै होइ छै, बुतातक होइ छै दोख
कर्मठ बाँहि हँसै छै सब ठाँ, अकर्मठ कानै भरि पोख

विपरीत सोच कखनो नै राखब, स्थिति कतबो विपरीत
अबोध मन सोचैत रह सम, हेतौ सगरो तोरे जीत

अमित मिश्र

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