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शुक्रवार, 20 जून 2014

रौ मुसबा किए अभरलें ?

रौ मुसबा किए अभरलें ?

गाल सेद कऽ लाल कऽ देबौ, उखारि लेबौ तोर टीक
एक धमक्का देबौ जखने, दिमाग हेतौ तोर ठीक
रौ मुसबा किए अभरलें ?
तूँ पोथी किए कचरलें ?

कान कनैठी मंगल बैठी, भेटतौ जखने ई दण्ड
वा बनबे तूँ मुर्गा-मुर्गी, तँ हेबें शान्त उदण्ड
हमरा तूँ बडा अखरलें
तूँ अंगा किए कतरलें ?

डेन पकड़ि स्कूल लऽ चलबौ, नवकी मैडम लग
भेटिते हुनक सजाय रौ बौआ, मुतबें भरि-भरि मग
खा-खा खूब मलरलें
पिनसिन किए दकरलें ?

नाङरिकेँ भुजिया कऽ देबौ, लेबौ मोछ उपाड़ि
मोगली बान्ह बान्हि देहपर, घोरन देबौ झाड़ि
बस्ता किए दकरलें ?
छत्ता किए कतरलें ?

आइ हम नै तोरा छोड़बौं, दऽ दे कतबो दाम
आइ दिनसँ एहन काजकेँ, करबे दुरहिंसँ प्रणाम
की कनिको चालि सुधरलौ ?
वा आदत फेर पलरलौ ?

अमित मिश्र

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