प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

मंगलवार, 5 अगस्त 2014

कने मीठ कने तीत छी

गजल-2.26

कने मीठ कने तीत छी
अहाँ हमर अपन मीत छी

किओ तोड़ि सकत नै सखा
अहाँ आँङुर हम बीत छी

हमर ठोर परक भाव बनि
गुनगुनाइत नव गीत छी

अहाँ रहब जतय, रहब हम
अहाँ धाह तँ हम शीत छी

अहाँ तजि हमरा जीब नै
अहाँ हारि तँ हम जीत छी

12-2112-212

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें