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रविवार, 27 जुलाई 2014

गबैया

185. गबैया

रामसोगारथ बड नीक गबैया छथि ।शास्त्रिय संगीतपर बड पकड़ छलनि ।कतेको एलबम हिट भेल छलनि ।समय बदलैत गेल ।नव गबैया आ नव गीतक जनम होइत गेल ।नव तकनिक कमप्यूटर आबि गेलासँ कैसेटक बिक्री कम भऽ गेलै ।गीतक स्तर खसलै वा बढ़लै, मुदा चलती खूब धेलकै ।रामसोगारथ गबैयाक पूछ कम हुअ लागलै ।आमदनी बन्न भऽ गेलै ।लोककेँ उघार गीत पसीन छलै आ रामसोगारथ सब दिनसँ झाँपै बला लोक छल ।संगीतक टाँग-हाथ तोड़ि कऽ गाबै बला लऽग रामसोगरथक शास्रिय विद्या मुँह दूसि रहल छलै ।

अमित मिश्र

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