गजल-2.38
हम पढ़ल-लिखल सुच्चा बेरोजगार छी
सब जगह दबल छी आ सब ठाँ लचार छी
आउ बजबैत रहू हमरा बेर-पहर धरि
हम सिनेहक नरम तारक नव गिटार छी
मानि लिअ हमर गप ठक अछि सगर नगर धरि
ऊँच महलक खसल सबदिनका विचार छी
भेल नव भोर छै सब ठाँ नव इजोर छै
नवल जीवनक भेटल नव नव सचार छी
जीत छी हारि छी फूसिक गारि मारि छी
फूसि खबरिसँ भरल बासी इश्तिहार छी
212-212-2221-212
हम पढ़ल-लिखल सुच्चा बेरोजगार छी
सब जगह दबल छी आ सब ठाँ लचार छी
आउ बजबैत रहू हमरा बेर-पहर धरि
हम सिनेहक नरम तारक नव गिटार छी
मानि लिअ हमर गप ठक अछि सगर नगर धरि
ऊँच महलक खसल सबदिनका विचार छी
भेल नव भोर छै सब ठाँ नव इजोर छै
नवल जीवनक भेटल नव नव सचार छी
जीत छी हारि छी फूसिक गारि मारि छी
फूसि खबरिसँ भरल बासी इश्तिहार छी
212-212-2221-212
बड़ नीक लागल.
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 12/10/2014 को "अनुवादित मन” चर्चा मंच:1764 पर.
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद राजीव बाबू
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ओंकार बाबू
जवाब देंहटाएंZabardast prastuti ..badhaayi !!
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