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शुक्रवार, 10 अक्तूबर 2014

सुच्चा बेरोजगार छी

गजल-2.38
हम पढ़ल-लिखल सुच्चा बेरोजगार छी
सब जगह दबल छी आ सब ठाँ लचार छी

आउ बजबैत रहू हमरा बेर-पहर धरि
हम सिनेहक नरम तारक नव गिटार छी

मानि लिअ हमर गप ठक अछि सगर नगर धरि
ऊँच महलक खसल सबदिनका विचार छी

भेल नव भोर छै सब ठाँ नव इजोर छै
नवल जीवनक भेटल नव नव सचार छी

जीत छी हारि छी फूसिक गारि मारि छी
फूसि खबरिसँ भरल बासी इश्तिहार छी

212-212-2221-212

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