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गुरुवार, 25 जून 2015

वर्णमाला : च

बाल कविता- 188
वर्णमाला : च


चुन्नी मुन्नी देख रहल छै, 'च'सँ चरखा बाबी कए
कोना सूतमे सूत फसा कऽ, सीब रहल छै जाबी कए

गाँधी बाबा चरखा देलनि, गाम गाममे शोर भेलै
अपन हाथक बीनल कपड़ा, देखू चारू ओर एलै
गंजी गमछा धोती अंगा भरल छै पेटी बाबी कए
कोना सूतमे सूत फसा कऽ, सीब रहल छै जाबी कए

चरखा केर दू चक्का संगे, चुन्नी मुन्नी नाचै छै
सूत बनाबथि बाबी आरो मिठगर गीत सुनाबै छै
संगी संगे सीख रहल छै, टहल करै छै बाबी कए
कोना सूतमे सूत फसा कऽ, सीब रहल छै जाबी कए

कोना बनलै सुइटर मोफलर, बाज तूँ बौआ एखन रौ
सूतमे सूत मिला कऽ बनय, कपड़ा सबटा चिक्कन रौ
तूरक ढेरी सूत बनै छै, साड़ी आँगी बाबी कए
कोना सूतमे सूत फसा कऽ, सीब रहल छै जाबी कए


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