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शनिवार, 14 नवंबर 2015

हुक्का-पाती लेने चल

दियाबातीक शुभकामना संग आनंद लिअ एहि बाल कविताक - 217

हुक्का-पाती लेने चल
मच्छरकेँ झड़केने चल
दियाबाती पावनि एलै
माटिक दीप जरेने चल

कर चकाचक आँगन घर
कपड़ा-लत्ता साफे कर
लक्ष्मी जीक पूजा हेतै
गलती सबटा माफे कर

फोड़ फटक्का आलू बम
चकरी नाचै छौ छमछम
राॅकेट बाबा चन्ना संगे
भेंट करै लए भरने दम

छुटकू बाबू छुरछुरी संग
मिरचैया देख छुटकी दंग
फुलबा फूटल फुलझरीमे
ताकि रहल अछि उमंग

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