प्रिय पाहुन, नव अंशु मे अपनेक हार्दिक स्वागत अछि ।

रविवार, 20 दिसंबर 2015

ता ता थइ

बाल कविता-222
ता ता थइ

ता थइ ता थइ ता ता थइ
रहु लेबै कि लेबै गरइ

बड़ी पोखरि उनटि गेल छै
उबडुब उबडुब माँछ भेल छै
इचना पोठी आर कबइ

जेबी भरि कऽ पोठी भेल छै
आगि लेस कऽ चढ़ा देल छै
रोटी संग सन्ना चलइ

चमकै मोंछ कोना सिन्घीकेँ
माँछक चमरी छै बिन्दीकेँ
साटें मम्मी माँथे गइ

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