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रविवार, 24 दिसंबर 2017

मैथिली बाल कविता- यै काकी यै काकी

अझुका रचना- बाल कविता
273.
यै काकी यै काकी

यै काकी यै काकी
भोकरै नबकी बाछी
कहू ने हमरा
हमहीं ओकरा
सानी आइ लगा दी

यै काकी यै काकी
लत्ती खेलक पाठी
कहू ने हमरा
हमहीं ओकरा
लाठी मारि भगा दी

यै काकी यै काकी
एलै एक बाबाजी
कहू ने हमरा
हमहीं ओकरा
आटा द' क' हटा दी

यै काकी यै काकी
भेलै कोबी बासी
कहू ने हमरा
हमहीं ओकरा
तीमन आइ बना दी

यै काकी यै काकी
अहाँके काज पचासी
करू ने नखरा
करू बखरा
किछु हमहूँ सलटा दी

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