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बस दिअ एके रत्ती
हे यै फूल, कने दिअ सुगंधी
जाहिसँ गमकै हमर गुण
जकरा बलपर नुका क' राखी
अपन सभटा हम अवगुण
हे यै धरती, अहूँ दिअ किछु
नै बेसी त' एको रत्ती
जकरा बलपर सबटा आफत
सहि सकी से सहनशक्ति
हे अकास, अपने सन दिअ
जिनगीमे हमरो ऊँचाइ
हिया विशाल अहीं सन बनै
छुबि सकै नै कोनो बुराइ
हे पहाड़, बड़ गुणिगर अहाँ
दिअ अपने सन विश्वास
अड़ल रही सबटा संकटमे
हिला सकै नै हमर आश
हे पानि, गुण दिअ मिलै केर
सभसँ मिल क' रही हम
जकरा बलपर साफ चरित्रक
बनि क' रही जनम जनम
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