3.17 पुरना चाउर
आइ जखनसँ मकान मालिक रेन्ट बढ़बैक बात केलकै तखनेसँ सुलेखाक माँथ दर्द क' रहल छलै ।एकटा मध्यम वर्गीय परिवार लेल शहरमे रहब कोनो हल्लुक बात त' नहियें छै ।2017 मे जखन घरपर भैयारीसँ झगड़ा क' शहर आएल छलै तखन रेन्ट मात्र पाँच हजार लागै छलै ।सुलेखाक पति सेहो प्राइवेटोमे 20-25 हजार कमा लैत छलै ।जिनगी मजामे कटै छलै ।दिनानुदिन बाल-बच्चा बढ़ैत गेलै आ तकरे संग बढ़ैत गेलै महगाइ, घरक खर्चा आ मकानक रेन्ट ।मुदा एकर वनिस्पत आमदनी नै बढ़लै ।प्राइवेटक काज त' फिक्स रेटपर होइते छै।मुदा खर्चा ...फिक्स थोड़े छलै।बोझ बढ़िते जा रहल छलै । स्थिति ई छै जे एखन जनवरी 2045 मे मकान बला सुना गेलै जे आब रेन्ट पचास हजार लागतै ।ई सुनितहिं सुलेखाक मोन भरिया गेल छलै ।की करी, की नै करी ?किछु फुराइत नै छलै ।खूब सोचि-बिचारि क' सुलेखा गामपर फोन लगेलक "दीदी, की करियै ?आब शहरमे रहनाइ आ एकर बोझ उठेनाइ पहाड़ जकाँ लागि रहल छै ?"
बड़की दियादनी सभ बात बुझि गेलै ।साहस दैत कहलकै,"चिन्ता नै करू कनियाँ, सब किछु बेच देलाक बादो घरारी त' बचल अछि ।पुरना बात सभ बिसरि क' आबि जाउ ।सब दिनसँ पुरने चाउरक पथ पड़ै छै ।घरारी अहाँक बाट जोहि रहल अछि ।"
सुलेखाक आँखि नोरा गेलै ।फोन काटलक आ पैकिंगमे लागि गेल ।
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