साहित्य लेखनमे एकटा लघु विरामक बाद प्रस्तुत अछि एकटा बाल कविता
267
हे गे चिड़ैयाँ
*******
हे गे चिड़ैयाँ
किए उड़ै छें
हमरासँ तूँ
किए डरै छें
नै मारबौ
नै बात सुनेबै
तोरा संगे
कने खेलेबौ
सिखा दिहें तूँ
केना उड़ै छै
सिखा देबौ हम
केनै बाजै छै
तखन संगे
उड़ल करबै
एक-दोसरके
बात समझबै
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें